वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />२२ जून २०१४<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />दोहा:<br />पिय का मारग कठिन है, जैसे खांडा सोय |<br />नाचन निकसी बापुरी, घूंघट कैसा होय ||<br /><br />प्रसंग:<br />प्रेम क्या है?<br />प्रेम में नाकामी का यही पुराना बहाना है,खुदा को तो पाना है खुद को भी बचाना है<br />"नाचन निकसी बापुरी, घूंघट कैसा होय" इस दोहे के माध्यम से कबीर क्या बताना चाह रहे है?